Asahyog Andolan kya hai ? | असहयोग आन्दोलन क्या है

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दोस्तों आज हम आपको Asahyog Andolan kya hai इसके बारे में बताने वाले है की Asahyog Andolan कब सुरु हुआ Asahyog Andolan को किसने सुरु किया Asahyog Andolan के साथ कोण कोण से आन्दोलन जुड़े थे यानि की इस आर्टिकल में हम आपको Asahyog Andolan kya hai इससे जुडी सारी जानकारी आपको पुरे विस्तार के साथ बताने वाले है इसी लिए यदि आपको यह जानना है की Asahyog Andolan kya hai तो इस आर्टिकल को पढ़ते रहिये।

Asahyog Andolan kya hai

असहयोग आन्दोलन गाँधी जी के दुवारा सुरु किया गया था यह आंदोलन भारत के पूर्ण स्वराज्य के लिए किया गया था यह आंदोलन 1915 ईस्वी में सुरु हुई थी जिस समय यह आंदोलन सुरु हो रहा था उस समय गाँधी जी साउथ अफ्रीका की यात्रा करके आएं थे उसके बाद ही सारे आंदोलन सुरु हुए

जिसमें कई तरह के आंदोलन किये गए और यही आंदोलन के साथ खिलाफत आंदोलन भी किये गया था और खिलाफत आंदोलन की सुरवात 1920 में हुई थी और इस आंदोलन में भी गाँधी जी का सहयोग था इस आंदोलन से बहुत कुछ सुधर भी गया था लेकिन फिर भी अंग्रेजों पर कोई असर नहीं हो रहा था इस आंदोलन से

और जब दूसरा विश्वयुद्ध (second World War) होने वाला था तो अंग्रेज सरकार ने मुसलमानो से यह वादा किया की हम तुर्की देश के लोगों को कुछ नहीं करेंगे ऐसा इस लिए था क्यूंकि तुर्की देश में मुसलमानो की जनसँख्या काफी अधिक है जिसके चलते तुर्की देश मुसलमानो के लिए काफी महत्वपूर्ण है लेकिन जैसे ही 1920 आया तुरंत अंग्रेज लोग अपने वादे को भूल गए और तुर्की देश को अलग अलग कर दिए और उन्होंने तुर्की देश का कुछ हिसा ब्रिटेन में ले लिए और कुछ फ्रांस में।

जब अंग्रेज लोग Mahatma Gandhi जी के बात नहीं मानने लगे तो वह अपने साथिओं को बोलेन की अब अंग्रेज लोग हमारे बातों को नहीं मानने वाले इसी लिए हमने कोई दूसरा उपाए लगाना होगा और ऐसा तब बोल रहे थे जब खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement) के दुवारा अंग्रेज लोग गाँधी जी की बात को नहीं मान रहे थे

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जब गाँधी जी ने अपने साथिओं को ये बताये की अब हमें किसी भी परिस्तिति (Situation) में अंग्रेजों का साथ नहीं देना है तो सारे लोगों को यह बात काफी अच्छी लगी और लोगों ने ये कहा की हमें यह बात से खुस है और हम आपका साथ देंगे और तभी से सुरु हो गया असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) और इस आंदोलन को असहयोग आंदोलन कहा जाने लगा।

असहयोग आंदोलन की सुरवात Non-cooperation movement

यह आंदोलन 1 अगस्ता 1920 में सुरु हुआ और यह आंदोलन ठीक चल रहा था लेकिन कुछ ही दिन के बाद एक नेता की मृत्यु हो गई और उस नेता का नाम बाल गंगाधर तिलक था और इनके मृत्यु (death) के बाद भी आंदोलन चालू रहा क्यूंकि अंग्रेजों से छुटकारा पाना था इसी लिए इस आंदोलन को रोका नहीं गया बल्कि सारे लोगों को हिम्मत (courage) दिया गया की आप इस आंदोलन को चालू रखो और वैसे भी Gandhiji ने पहले ही कहा था लेकिन किसी वजह से इस आंदोलन को 4 सितम्बर को पास किया गया था।

Gandhiji का केहना था की हम यदि इस आंदोलन को लगातार एक साल तक चलाते है तो हमें स्वराज प्राप्त हो सकता है लेकिन उसी ग्रुप में एक सी आर दास (C.R Das) नाम का वेक्ति उनकी बातों को नहीं माने क्यूंकि वह एक बहुत बड़े वकील थे

जिसके चलते असहयोग आंदोलन का काम सिर्फ कोलकाता में ही सुरु हुआ क्यूंकि सिर्फ कोलकाता में ही असहयोग आंदोलन को पास किया गया था और एक (Mr. Vijay Raghav) नाम के अध्यक्षता ने नागपुर में असहयोग आंदोलन को पास कर दिया जिससे Asahyog Andolan काफी मजबूत हो गया और ऐसा 25 दिसंबर 1920 में हुआ था

असहयोग आंदोलन के कारण (Reason of Non-Cooperation Movement)

खिलाफत आंदोलन- पहला विश्वयुद्ध (First world war) होने के बाद भारतीय मुसलमान अंग्रेजों से काफी गुस्सा हो गए क्यूंकि उन्होंने ये वादा किया था की हम तुर्की Turkey देस के मुसमानो के साथ कुछ भी नहीं करेंगे जब की वह ऐसा नहीं किये वह तुर्की देश के मुसलमानो के साथ तो कुछ नहीं किये लेकिन तुर्की देश को अलग अलग कर दिए

जिसके चलते भारतीय मुसलमान (Indian muslim) अंग्रजों से काफी नाराज थे जब अंगेर्जों ने ऐसा गलत काम किये तो खिलाफत आंदोलन सुरु किये गया और खिलाफत आंदोलन से कुछ नहीं हुआ तो असहयोग आंदोलन किया गया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड:- जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919 मैं हुआ जिसके कारण कई लोग मारे गए और काफी लोगों एक Officer के कारण मारे गए क्यूंकि ऑफिसर दिनदहाड़े गोली की बरसात करने लगा तो जितने लोग भी उनके चपेट में आया ओ सभी मारे गए और जो Officer था ओ केवल 10 मिंट में सभी को मार गिराया

आपको बतादूँ की ओ ऑफिसर 1650 राउंड गोलियां चलाया तब जाके सारे लोग मारे गए और जलियांवाला बाग हत्याकांड में करीब 1200 लोग बिना सादी सुदा के थे और कई लोग तो कुछ किये भी नहीं थे फिर भी उन्हें मार दिया गया लेकिन ये मरने वाले की संख्यां फिक्स नहीं है की 1200 लोग को मारा गया था।

सन 1919 में भारत शासन अधिनियम:- इसमें मार्लो मिंटो सुधार अधिनियम से बहुत सारी उम्मीद लगी हुई थी जो पूरी नहीं हुई जिसके कारण भारतीय लोग काफी नाराज थे और साथ में बल्कि इसके उलट ब्रिटिश सरकार की बर्बरता बहुत जाएदा आगे जा चुकी थी जिसके कारण लोग और भी नाराज हो गए।

रोलेट एक्ट:– इसमें अंग्रेजों के दुवारा ये आजादी दी गई थी की कोई भी Police किसी भी वेकती को बिना इजाजत या बिना गुना किये उसकी तलासी ले सकती थी और ऐसा इस लिए किये गया था क्यूंकि अंग्रेज लोग के खिलाफ कोई आवाज ना उठा पाए जो की यह गलत था क्यूंकि सभी को आजाद रहने का पूरा पूरा हक है।

और अंग्रेज लोग सभी आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया था ओ ये किया था की जो भी सामान (things) बाजार में बिकता है सभी पे टेक्स लगा दिया था यंहा तककि जो हम हर दिन इस्तेमाल करते है उसपे भी Tex लगा दिया था लेकिन अंग्रेजों सिर्फ टेक्स ही लगाते तो चलता लेकिन उन्होंने टेक्स बहुत जाएदा कर दिए

जो एक आम आदमी के लिए संभव नहीं था और इसे भी Wrong माना जा सकता है क्यूंकि किसी भी चीज को उतना ही बढ़ाना चाहिए जितना उसकी छमता हो जब लोगों का घर नहीं चलने लगा तो वह कोई फैसला लेने के लिए सोचे और फिर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने लगे।

असहयोग आंदोलन और उद्देश्य (Asahyog Andolan & Purpose)

Asahyog Andolan गाँधी जी के दुवारा सुरु किया गया था असहयोग आंदोलन से पहले भी कुछ आंदोलन चलाये गए थे लेकिन किसी भी आंदोलन से अंगेर्जों पे कोई प्रभाव effect नहीं बढ़ रहा था तो गाँधी जी ये समझ गए की ये सब आंदोलन करने से कोई भी हल नहीं निकलेगा इसी लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की सुरवात की

गाँधी जी का केहना था की अंगेर्जों के दुवार बेचे गए कोई भी वस्तु नहीं खरीदना है यानि की अंग्रेजों का सामान को बहिस्कार boycott करना है ताकि वह भारत छोड़ के चले जाये क्यूंकि भारत के लोग अंग्रेजों के वस्तु खरीदते थे जिसके कारण अंग्रेजों की आबादी भारत में काफी जाएदा फेल गया उसके बाद भारत पे जाएदा Order अंग्रेजों का चलने लगा और अंग्रेजों भारत के लोगों को तकलीफ देने लगे तो गाँधी जी चाहते थे की अंग्रेजों का सामान कोई ना ख़रीदे ताकि वह भारत छोड़ के चाल जाये।

जैसे ही गाँधी जीने यह फैसला लिए उसके बाद 1 अगस्त 1920 से इस आंदोलन को सुरु कर दिए गए जिसे हर कोई पसंद किये और गाँधी जी का सभी कोई Sport! किये जेसे असहयोग आंदोलन काफी अच्छा चला जैसे India के सभी जगहों में ये बात फेल गयी उसके बाद सभी लोग इस बात को मान गए और यह आंदोलन सुरु हो गये।

शहरों में असहयोग आंदोलन (Asahyog Andolan in cities)

गाँधी जी ने इस आंदोलन को सुरु किये उसके बाद सभी कोई उनका Sport! करने लगे जैसे स्कूल बंद कर दिया गया क्यूंकि सभी विध्यार्ती स्कूल आना बंद कर दिए और स्कूल के master भी पढ़ाना छोड़ दिए और बहुत सारे दुकाने बंद हो गई ,वकील लोग मुकदमा लड़ना बंद कर दिए और जो प्रांतों में परिषदों Councils in provinces चुनाव होता है उसे भी बहिस्कार कर दिया गया और साथ में शराब की दुकाने भी बंद कर दी गयी ताकि ये आंदोलन मजबूत हो।

विदेश का सामान लेना बंद कर दिया गया क्यूंकि विदेश के सामान भी अंग्रेजों के दुवारा लाया जाता था और विदेश से जो कपडे आते थे उसे होली जला दी जाती थी जिसके चलते 1921 से 1922 के बिच विदेशी कपडे की आयत कम हो गई क्यूंकि विदेशी कपडे की की मूल्य 102 करोड़ से कम होकर केवल 57 करोड़ ही हो गया और इस आंदोलन को थोड़ा और मजबूत बनने के लिए गाँधी जी इस पे थोड़ा और म्हणत किये और भारत में ही कपडे की मिल खुलवाए

बिच में आंदोलन थोड़ बिगड़ने लगा क्यूंकि भारत में कपडे clothes की मिलें जो कपडे त्यार करती थी उसकी मूल्य काफी जाएदा थी और अंग्रेजों का कपडा का मूल्य थोड़ा कम था जिसके कारण जाएदा तर अंग्रेजों का ही कपडा ख़रीदा जा रहा था वैसे India में बनने वाले कपडे का मूल्य इतना अधिक इस लिए था

क्यूंकि भारत में उतना सुविधा नहीं मिल पता था और वह कम कीमत price पे कपडे इसलिए नहीं दे पाते थे क्यूंकि कपडे बनाने में काफी जाएदा खर्च expense हो जाया करता था लेकिन इसमें भी धीरे धीरे थोड़ी बहुत सुधर की गई।

ग्रामीण इलाकों में असहयोग आंदोलन (Asahyog Andolan in Village)

जैसे जैसे सहर में इसका आंदोलन बढ़ता चला गया और गांव village में इसके बारे में पता चाल तो गांव के लोग भी इस आंदोलन में गाँधी जी का Sport करने लगे और गांव के लोग भी इसमें हिसा लेने लगे यानि इस आंदोलन में साथ देने लगे।

बहुत सारे जगह पे लोगों ने काम करना छोड़ दिया लेकिन village में इस आंदोलन से काफी कुछ खराब भी हो गया जैसे लोगों ने दारू के अड्डे पे हमला करने लगे और दुकानदारों shopper के घरों में भी हमले करने लगे सारे जगहों पे लूट मार मच गई थी यंहा तक की रासन के गोदाम में भी लूटपाट rapine किया जाने लगा जिसके चलते यह आंदोलन काफी बिगड़ गया।

इसी आंदोलन के करना पुरे देश में तहलका मच गया था पुरे देश में 396 बार हड़ताल हुई और हर दिन 6 लाख से जाएदा सैनिक को भी लाया गया इससे फ़ायदा Profit तो हो रहा था लेकिन बहुत जाएदा नुकसान हो जा रहा था जसके चलते गाँधी जी को ये फैसला लेना पड़ा की अब आंदोलन को बंद किया जाये।

असहयोग आंदोलन समाप्त करने का कारण (Reason for Ending Asahyog Andolan)

असहयोग आंदोलन के दुवार अंग्रेजों देस छोड़ कर जा सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्यूंकि आंदोलन पूरा नहीं चाल और पूरा नहीं चलने का कारण था की लोगों ने इसे सही से चलाया नहीं जैसे हर जगह लूटपाट होने लगा मार काट होने लगा और 1922 में एक बहुत बड़ी घटना हुई जिसे लोग चोरा चोरी कांड के नाम जानते है

चौरी चौरा कांड (Chauri Chaura Kand)

क्या आपको ये पता है की चोरा चोरी कांड कैसे हुआ यदि नहीं तो हम बताते है Asahyog Andolan को ही लोग बिगाड़ दिया यानि की गाँधी जी के दुवारा चलाये गए आंदोलन को लोगों ने सही से नहीं चलाये जिसके चलते Gandhi jii को ये कहना पड़ा की अब ये आंदोलन को बंद कर दिया क्यूंकि हालात बहुत ख़राब हो चूका था इसी लिए लोग Gorakhpur गांव में एक हड़ताल कर रहे थे

ब्रिटिश शासन के खिलाफ तो जब वह लोग पुलिस से मिलें तो वंहा कुछ और ही होगया यानि की उस जगह पे 22 police कर्मचारी की मोत हो गई मोत होने की कारण लोग थे क्यूंकि लोग पूरा भड़के हुए थे जिससे उन्होंने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दिए जिससे pure 22 police की मोत हो गई

और ये घटना 5 फरवरी 1922 उत्तर प्रदेश के गोरखपुर गांव में हुआ था जैसे ही ये बात का पता गाँधी जी को चल तो वह तुरंत यह फैसला ले लिए की अब हमने असहयोग आंदोलन को समाप्त कर देना चाहिए क्यूंकि इसका लोग गलत उपयोग करने लगे थे जंहा तनहा मार काट कर देते थे तो गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को रोकने का फैसला कर लिए

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conclusion

दोस्तों हमने इस आर्टिकल में Asahyog Andolan kya hai इसके बारे में बताया है इसी लिए ये आर्टिकल आपको पसंद आया होगा तो इसे अपने दोस्तों तक जरूर पहुंचाए

  • Asahyog Andolan
  • Asahyog Andolan kya hai
  • Non-cooperation movement
  • Reason of Non-Cooperation Movement
  • Asahyog Andolan & Purpose
  • Asahyog Andolan in cities
  • Reason for Ending Asahyog Andolan
  • Chauri Chaura Kand